Aalhadini

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The Train... beings death 22

इंस्पेक्टर कदंब और नीरज काफी दिनों से लगातार भवानीपुर में हो रही घटनाओं पर काम कर रहे थे। जिसकी वजह से बहुत ज्यादा थक चुके थे तो कमल नारायण के पास से घर आकर सो गए।


इंस्पेक्टर कदंब देर रात तक करवटें बदलते रहे पर कुछ अनसुलझे सवाल उन्हें सोने नहीं दे रहे थे। बड़ी ही मुश्किल से आधी रात के बाद उनकी आंख लगी.. जो फोन की रिंग से डिस्टर्ब होने लगी थी।


    लगातार दो तीन कॉल आ चुकी थी। जब चौथा कॉल बजा तो हारकर इंस्पेक्टर कदंब को कॉल  उठाना पड़ा।  फोन उठाने पर.. स्क्रीन पर उसी हॉस्पिटल का नाम फ्लैश हो रहा था.. जिस हॉस्पिटल में कमल नारायण जी एडमिट थे। कुछ सोचते हुए इंस्पेक्टर कदंब ने फोन उठाया तो सामने से एक घबराई हुई आवाज आई, "हेलो..! हेलो.. इंस्पेक्टर कदंब..!! एक अर्जेंसी है..??" इतना कहते ही फोन कट गया।


इंस्पेक्टर कदंब की नींद अर्जेंसी का नाम सुनते ही उड़ गई थी। वह झट से उठ कर बैठे और दोबारा फोन को देखने लगे। इंस्पेक्टर कदंब ने दोबारा से उस नंबर पर कॉल लगा दिया.. जिस नंबर से अभी अभी कॉल आया था।  दो-तीन रिंग के बाद सामने से फोन उठाने पर हेलो की आवाज आई।


 "हेलो..! अभी-अभी आपने कॉल किया था। मैं इंस्पेक्टर कदंब बात कर रहा हूं।" कदंब ने कहा।


 "जी हमने आपको कॉल किया था पर नेटवर्क प्रॉब्लम की वजह से कॉल डिस्कनेक्ट हो गई थी।" सामने से किसी लड़की के बोलने की आवाज आई।


 "जी बताइए..! इतनी रात में कैसे कॉल किया? अभी-अभी जिसने कॉल किया था वह किसी अर्जेंसी की बात कर रहे थे।" इंस्पेक्टर कदंब ने पूछा।


 "जी सर..! अभी थोड़ी देर पहले ही कमल नारायण जी ने आप से बात करने की जिद पकड़ रखी थी। डॉक्टर ने किसी तरह उन्हें शांत किया है।"  सामने से एक मीठी सी आवाज आई।



 उस बात को सुनते ही इंस्पेक्टर कदंब थोड़ा सा परेशान हो गए थे। उन्होंने जल्दबाजी से पूछा, "कमल नारायण जी..! उन्होंने ने किस बात की जिद पकड़ी थी? क्या हुआ है? वह ठीक तो है?"


 "जी सर..! फिलहाल तो ठीक है। उनकी बॉडी ट्रीटमेंट पर प्रॉपर रिएक्ट नहीं कर रही थी.. डॉक्टरों ने अभी इंजेक्शन दिया है होप कि वो ठीक होगें। वह लगातार आपसे बात करने की जिद कर रहे थे। इसीलिए आपको कॉल की गई थी।" सामने वाली लड़की ने जानकारी दी।


 "कुछ सीरियस है..??" इंस्पेक्टर कदंब ने पूछा तो सामने से उस बात का कोई जवाब नहीं आया। इंस्पेक्टर कदंब उस खामोशी से समझ गए थे कि मामला शायद कुछ सीरियस था। उन्होंने दोबारा से पूछा, "एक बात बताइए? क्या कमल नारायण जी ठीक हैं?"  सामने से कुछ भी बोलने की आवाज नहीं आई और फोन डिस्कनेक्ट हो गया।



 इंस्पेक्टर कदंब इस तरह से कॉल कटने पर ही समझ गए थे कि कोई ना कोई सीरियस बात थी। उन्होंने तुरंत ही नीरज को उठाने की कोशिश की।


 "नीरज..! नीरज उठो!"


 नीरज ने इंस्पेक्टर कदंब का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचते हुए करवट बदल ली और बोला, "यार तू भी सो जा। पता है कितनी अच्छी नींद लगी है और तू है कि परेशान करने आ गया।"


 नीरज के इतना कहते ही इंस्पेक्टर कदंब ने अपना हाथ झटके से खींचा। अचानक हाथ पर झटका लगने से नीरज हड़बड़ा कर उठ बैठा और आंखें मसलते हुए यहां वहां देखने लगा। अपने सामने इंस्पेक्टर कदंब को बैठा हुआ और अपनी तरफ घूरते देख नीरज ने जल्दबाजी में हकलाते हुए कहा, "सॉरी..!! सॉरी सर..! वह मुझे लगा कि मैं अपने रूम में हूं।"


 इंस्पेक्टर कदंब अभी भी नीरज को घूर रहे थे। नीरज ने अपनी गर्दन झुका ली और फिर धीरे से पूछा, "सर आपने इतनी रात को ऐसे जगाया..  कोई सीरियस बात है??"


 इंस्पेक्टर कदंब ने बेड से उठते हुए कहा, "हां हॉस्पिटल से फोन आया था.. गोल मोल बातें कर रहे हैं। शायद कोई सीरियस बात है। उन्होंने कमल नारायण जी के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया है।"



 इंस्पेक्टर कदंब की बात सुनते ही नीरज ने जल्दी से पूछा, "मतलब? सर..! कमल नारायण जी हैं या गए!!" 


नीरज की बात सुनते ही इंस्पेक्टर कदंब ने घूर कर नीरज को देखा और कहा, "कुछ तो अच्छा बोलो। तुम्हें पता है.. कमल नारायण जी से बहुत कुछ ऐसा पता चल सकता है.. जिससे यह ट्रेन की बीमारी हमेशा हमेशा के लिए ठीक हो जाए और तुम हो के उनके जाने की बातें कर रहे हो।"


 "सर.. इतनी रात में हॉस्पिटल से कॉल आया है तो नॉर्मल बात तो नहीं होगी ना। बस मैंने इसीलिए कहा।"
नीरज ने अपनी बात समझाते हुए कहा ताकि डांट ना पड़ जाए।


"हम्म..! मैं अभी 10 मिनट में तैयार होकर आता हूं तब तक तुम भी उठ जाओ। हमें अभी हॉस्पिटल के लिए निकलना होगा।" इतना कहकर इंस्पेक्टर कदंब बेड से उठ गए और तैयार होने के लिए चले गए।



 नीरज अभी भी अपने सर पर हाथ रखकर बैठा हुआ था। थोड़ी ही देर में इंस्पेक्टर कदंब तैयार होकर बाहर आए तो उन्होंने नीरज को सर पकड़ कर बेड पर बैठे देखा तो घूर कर नीरज की तरफ देखा। नीरज का ध्यान इंस्पेक्टर कदंब पर गया तो वह हड़बड़ा कर उठा और बाथरूम की तरफ भाग गया।



 लगभग 15 मिनट बाद जब नीरज बाहर आया। इंस्पेक्टर कदंब ने चाय बना रखी थी.. चाय का कप नीरज की तरफ बढ़ाते हुए कहा, "यह लो..! मुझे पता है इस टाइम बिना चाय के कुछ भी करना पॉसिबल नहीं है।"


 नीरज ने मुस्कुराते हुए चाय का कप लिया और वह दोनों वहीं बैठ कर चाय पीने लगे। नीरज ने चाय पीते हुए पूछा, "सर..! जब हम कमल नारायण जी को छोड़कर आए थे.. तब उनकी तबीयत इतनी भी खराब नहीं थी.. । फिर अचानक ऐसा क्या हुआ होगा?"


 इंस्पेक्टर कदंब ने अपनी चाय का घूंट भरते हुए कहा, "पता नहीं..! लेकिन कुछ तो सीरियस बात है। पहले एक कॉल आया था जिसमें कुछ अर्जेंसी की बात की थी और फोन कट गया था। मैंने फोन लगाया तो किसी और ने फोन उठाया था और वह लड़की नॉर्मली कह रही थी कि कोई और टेंशन की बात नहीं। पर पता नहीं क्यों कमल नारायण जी के बारे में पूछने पर फोन अचानक से कट गया। मुझे लगा के ऐसा ना हो कि हम वहां पहुंचने में लेट हो जाए?"  यह कहते हुए इंस्पेक्टर कदंब बहुत ज्यादा परेशान दिख रहे थे।


 जल्दी ही दोनों ने चाय खत्म की और हॉस्पिटल के लिए निकल गए। लगभग आधे घंटे बाद रात 2:00 बजे इंस्पेक्टर कदंब और नीरज हॉस्पिटल में थे। रिसेप्शन पर एक लड़की बैठी थी.. वह अपने मोबाइल में लगी हुई थी।



 नीरज ने जाकर उस लड़की से पूछा, "कमल नारायण जी से मिलना था।"


 कमल नारायण जी का नाम लेते ही उस लड़की ने घूर कर नीरज की तरफ देखा और कहा, "इतनी रात को क्या काम है?"


 रिसेप्शनिस्ट की बात सुनते ही नीरज ने इंस्पेक्टर कदंब की तरफ देखा तो इंस्पेक्टर कदम ने आगे बढ़कर उस लड़की से कहा, "थोड़ी देर पहले हॉस्पिटल से फोन आया था कि कुछ अर्जेंसी थी।"


 इंस्पेक्टर कदंब की बात सुनते ही उस लड़की ने तुरंत कहा, "आप..? आप इंस्पेक्टर कदंब है..?"


 इंस्पेक्टर कदंब ने अपनी गर्दन हां में हिलाते हुए जवाब दिया, "जी..! मैं ही इंस्पेक्टर कदंब हूं! हम अभी कमल नारायण जी से मिलना चाहते हैं।"


 इंस्पेक्टर कदंब की बात सुनते ही वो लड़की थोड़ी सी हड़बड़ाहट में दिखी। उसने तुरंत ही एक कॉल किया और कहा, "सर..! इंस्पेक्टर कदंब.. कमल नारायण जी से मिलने आए हैं।" 

इतना कहा और फोन रख दिया। तभी एक डॉक्टर तेजी से चलता हुआ बाहर आया और इंस्पेक्टर कदंब को देखते हुए कहा, "सर..! आपने इतनी रात को क्यों तकलीफ की।"


 डॉक्टर के शब्द और उसके एक्सप्रेशंस आपस में मैच नहीं कर रहे थे। इंस्पेक्टर कदंब ने डॉक्टर को घूरते हुए देखकर पूछा, "क्या हुआ है? आप इतना अजीब क्यों बिहेव कर रहे है? आपकी परेशानी का कारण जान सकता हूं?" 


 डॉक्टर ने हड़बड़ाकर हकलाते हुए जवाब दिया, "नहीं..! नहीं.. ऐसा तो कुछ नहीं है!"


 तभी इंस्पेक्टर कदंब ने आगे बढ़कर डॉक्टर के कंधे पर हाथ रख दिया और कहा, "आप जानते हैं ना.. किसी पुलिस वाले से झूठ बोलना सबसे मुश्किल काम होता है। बताइए क्या हुआ है?"


 डॉक्टर ने अपने चेहरे पर आया हुआ पसीना पौंछते हुए कहा, "मेरे केबिन में बैठकर बात करते हैं।"  और आगे आगे चल दिया। इंस्पेक्टर कदंब और नीरज दोनों पीछे पीछे चल पड़े।


 केबिन के अंदर जाकर डॉक्टर ने इंस्पेक्टर कदंब और नीरज को बैठने के लिए कहा, "बैठिए..!!"


 इंस्पेक्टर ने कुर्सी पर बैठते हुए पूछा, "अब आप साफ-साफ बताएंगे.. बात क्या है??"


 डॉक्टर ने अपने चेहरे से पसीना पौंछते हुए कहा, "सर बात यह है कि कमल नारायण जी को दोबारा हार्ट अटैक आया था। उनकी हालत काफी सीरियस है।"


 इतना सुनते ही इंस्पेक्टर कदंब और नीरज बहुत ज्यादा परेशान देखने लगे थे। इंस्पेक्टर कदंब ने पूछा, "अब ठीक है..?"


 "जी.. हमने उन्हें इंजेक्शन दे दिया था। अब उनकी हालत पहले से काफी ठीक है। लेकिन एक बात हमें समझ में नहीं आ रही?" डॉक्टर ने परेशान होकर कहा।


 "कौन सी बात डॉक्टर..?" नीरज ने सवालिया नज़रों से डॉक्टर को घूरते हुए पूछा।


 "यही कि ऐसा क्या हुआ था जिसकी वजह से इन्हें पहला अटैक आया और आप लोगों से रूम में ऐसी क्या बात हुई थी कि आपके जाते ही उन्हें दूसरा अटैक आ गया?" डॉक्टर ने परेशानी से कहा।


 जैसे ही इंस्पेक्टर कदंब और नीरज ने उनके जाते ही दूसरे अटैक की बात सुनी.. वह दोनों ही बहुत परेशान हो गए और एक दूसरे की तरफ देखते हुए कहा, "हमारे जाते ही दूसरा अटैक?? आप लोगों ने उसी टाइम फोन क्यों नहीं किया डॉक्टर?"


 इंस्पेक्टर कदंब और नीरज के ऐसे बोलने से डॉक्टर थोड़ा घबरा गया था। उसने हकलाते हुए कहा, "वह दरअसल बात यह थी कि उनकी हालत इतनी सीरियस हो गई थी कि हमें उस टाइम आपको इन्फॉर्म करने का ध्यान नहीं रहा। उनकी फैमिली से भी हमने किसी को इन्फॉर्म नहीं किया है। हम तो उन्हें कह चुके हैं कि आप यहां आकर पेशेंट को स्ट्रेस मत दीजिएगा। उन लोगों को भी हमारी बात समझ में आ गई इसीलिए वह लोग चले गए।"


 डॉक्टर की बात सुनते ही नीरज ने कन्फ्यूजन से इंस्पेक्टर की तरफ देखते हुए पूछा, "अगर हमारे जाते ही कमल नारायण जी को हार्ट अटैक आया था तो आप लोगों ने आधी रात को कॉल क्यों किया? उस टाइम ऐसा क्या हुआ था कि आपको कॉल करनी पड़ी?"



 नीरज की बात से डॉक्टर थोड़ा परेशान दिखाई पड़ा और बोला, 'कमल नारायण जी को आधी रात में होश आ गया था। जैसे यह उन्हें होश आया उन्होंने आप लोगों से बात करने की रट लगा दी  हम लोग तो उन्हें समझा-बुझाकर आ गए थे। लेकिन एक नर्स को उन्होंने कन्वेंस कर लिया कि वह आपको कॉल कर दे। उसी नर्स ने आपको कॉल की थी। जैसे ही हमें पता चला हमने उन्हें समझाया कि इतनी रात को ऐसे कॉल करने से आप लोग परेशान होंगे। वैसे भी कमल नारायण जी का इस समय ज्यादा बात करना ठीक नहीं।"


 डॉक्टर की बातें इंस्पेक्टर कदंब और नीरज को ठीक तो लग रही थी.. लेकिन उन बातों में कुछ ऐसा था जो इंस्पेक्टर कदंब को खटक रहा था। कदंब ने डॉक्टर से कहा, "आप एक काम कीजिए..! हमें कमल नारायण जी से मिलवा दीजिए। हो सकता है कि कोई इमरजेंसी हो!"


 डॉक्टर नहीं चाहता था कि इंस्पेक्टर कदंब कमल नारायण जी से मिले  इस बात का क्या कारण था वह तो अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ था पर कुछ तो ऐसा कारण था जिसकी वजह से डॉक्टर नहीं चाहता था कि इंस्पेक्टर कदंब और नीरज कमल नारायण जी से मिले।



 इस स्थिति में कदंब को मना करना ठीक नहीं था.. इसीलिए डॉक्टर ने कहा, "मैं अभी आपको कमल नारायण जी के कमरे में ले चलता हूं पर इस समय वह रेस्ट कर रहे होंगे!"


 कदंब ने मुस्कुराते हुए कहा, "अगर वह रेस्ट कर रहे होंगे.. तो हम वापस चले जाएंगे। आप पहले हमें लेकर तो चलिए।"


 डॉक्टर मन मार कर उन्हें कमल नारायण जी के कमरे तक ले गया। जैसे ही उन्होंने अंदर जाकर देखा कमल नारायण जी बहुत सारी मशीनों से घिरे हुए थे। ऐसा लग रहा था कि कमल नारायण जी की हालत काफी बुरी थी। यह कहना भी मुश्किल था कि सुबह का सूरज कमल नारायण जी देख भी पाएंगे.. या नहीं!!  कमल नारायण की हालत देखते हुए कदंब ने घूरकर डॉक्टर की तरफ देखा तो डॉक्टर ने अपनी गर्दन झुका दी।



 कदंब ने डॉक्टर को घूरते हुए पूछा, "यह सब आप लोगों की लापरवाही के कारण ही हुआ है ना?"


 डॉक्टर के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था। डॉक्टर बिना कुछ कहे वहीं पर खड़ा रहा तो कदंब ने गुस्से से कहा, "मैं चाहूं तो आप लोगों की कंप्लेंट कर सकता हूं।  फिलहाल मेरा ऐसा करने का कोई मानस नहीं है। लेकिन अब अगर गलती से भी आप लोगों की लापरवाही के कारण किसी भी पेशेंट की हालत खराब हुई तो मैं खुद इस बात की जिम्मेदारी लूंगा कि आपके हॉस्पिटल पर ताला किस तरह लगे? और यकीन मानिए मैं जो कहता हूं.. वह करता भी हूं..!!"


 डॉक्टर ने बिना कुछ कहे अपनी गर्दन हां में हिलाई। डॉक्टर को समझ में आ गया था कि इस समय जो धमकी इंस्पेक्टर कदंब ने दी थी.. वह कभी भी पूरी हो सकती थी। कदंब ने कमल नारायण जी की हालत को देखते हुए बिना कुछ कहे वापस लौटने का मन बना लिया था। तभी कमल नारायण जी की आंख खुली और उन्होंने धीरे से कदंब का नाम पुकारा...


 "क..कदंब..! कदंब..!!"


 जैसे ही डॉक्टर ने यह शब्द सुने वह तुरंत कमल नारायण के पास पहुंचा और उन्हें एग्जामिन करने लगा। नीरज और कदंब भी सामने खड़े हुए डॉक्टर के कुछ बोलने का इंतजार कर रहे थे। डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए कदंब को देखते हुए कहा, "अब यह खतरे से बाहर है! कमल नारायण जी आपसे बात करना चाहते हैं। मैं उन्हें मना नहीं कर रहा.. लेकिन आप भी ध्यान रखिएगा कि वह बहुत ज्यादा बातें ना करें और उन्हें ज्यादा स्ट्रेस भी ना हो। मैं चलता हूं!!"



 इतना कहकर डॉक्टर बाहर निकल गया। इंस्पेक्टर कदंब और नीरज जाकर कमल नारायण जी के पास खड़े हो गए। कमल नारायण ने धीरे से कहा, "इंस्पेक्टर मुझे आपको कुछ बताना था!"


 कदंब ने आगे बढ़कर कमल नारायण जी का हाथ हल्के से दबाते हुए कहा, "आपको जो भी कुछ बताना है.. कल बता दीजिएगा!" 


"नहीं इंस्पेक्टर..! ऐसा ना हो कि कल तक बहुत देर हो जाए।" कमल नारायण ने धीरे से कहा।


 "बताइए क्या कहना चाह रहे थे?" कदंब ने पूछा।


 कमल नारायण ने उन्हें बैठने का इशारा किया तो पास ही रखी दो कुर्सियों को कदंब और नीरज ने उठाकर कमल नारायण के बेड के पास लगा लिया ताकि उन्हें जोर से बोलने की जरूरत ना पड़े और उन्हें ज्यादा तकलीफ ना हो। कमल नारायण जी ने आगे कहा, "मैंने आपको कहानी जितनी सुनाई थी.. कहानी उतनी नहीं है। मैं आपको और भी कुछ बताना चाहता हूं।"



 तभी नीरज ने सवाल किया, "वही तो हम भी पूछना चाहते हैं? आप सुबह से बेहोशी में बोल रहे थे कि जो भी कुछ हुआ है.. आपकी वजह से हुआ है। सब में आपका ही दोष है! लेकिन जितनी कहानी अपने सुनाई थी.. उसके हिसाब से तो आयाम द्वार बंद हो गया था और वह जानवर अपने ही आयाम में रह गया था तो फिर टेंशन वाली बात ही नहीं है। फिर आपने ऐसा क्यों कहा कि सब कुछ आपकी वजह से हुआ था? उस सब में आपकी गलती थी।"



 नीरज की बात सुनते ही कदंब ने घूर कर नीरज की तरफ देखा। तभी कमल नारायण ने कहा, "क्योंकि आयाम द्वार बंद ही नहीं हुआ था।"


 आयाम द्वार बंद ना होने की बात सुनते ही कदंब और नीरज दोनों ही चौक गए थे। उस वक्त नीरज के हाथ में पानी का ग्लास था.. जो यह सुनते ही हाथ से छूट गया और सारा पानी फर्श पर बिखर गया।


क्रमशः...




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3 Comments

Punam verma

27-Mar-2022 06:00 PM

कहानी में नया twist

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Ali Ahmad

16-Feb-2022 11:34 PM

गुड स्टोरी

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Aalhadini

17-Feb-2022 01:27 PM

Thanks sir🙏

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